कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम
कृष्ण को लीला रचाते
राधा संग रास रचाते
मुरली की तान पर सबको नचाते
कन्हैया को हमने देखा हैं
मुरली की तान हो,
कृष्ण का ज्ञान हो,
माखन का स्वाद हो
सब प्रेम का विस्तार हैं
जीवन के भावों का सार हैं
ये सबको नही मिलते
उद्धव ने भी जब खुद को खोया
तभी कान्हा के मधुर प्रेम को पाया
हर गोपी का कृष्ण था अपना
क्या गोपिया देख रही थी सपना
नही था सपना ये उनका सच्चा प्यार था
जो गोपियों को बार बार अपनी और खीचता था
मनमोहन ही उनका मीत था....
ये सब क्या था ?
कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम
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