चाँद ने सूरज के साथ.. मिल कर, पकाई है दाल
तारों ने सजाया है ,आप के लिए, भोजन का थाल
आप के लंच के लिए हमने किया है, चाँद तारों का इस्तेमाल
ना कोई रईस, ना कोई नेता ,सिर्फ एक कवि ही कर सकता है ऐसा कमाल
चाँद ने सूरज को आज अपने पास पाया हैं
तभी तो दाल चावल का ख़याल मॅन मे आया हैं
लेकिन सर्दी बहुत हैं....पूरी, पकोड़ी का मौसम हैं....
ठंड मे डाल नही भाए हैं.....
चलो कोई बात नही पहला आमंत्रण हैं
स्वीकार कर लेते हैं....
आज आप के साथ ही लंच कर लेते हैं....
तुम क्यूँ दूर दूर जाते हो
लो मैं ही चली जाती हूँ
नहीं करती कोई फरमाइश
लो अब मैं हमेशा के लिए
सो जाती हूँ .......कभी न उठने के लिए
तुम फिर खुश हो जाना
खूब मज़े करना
कभी न कोई शोक मनाना .......
जिंदगी के रास्ते पे सुलझे ही तो उलझ जाते हैं
बाकी तो गर्दन बचा कर निकल ही जाते हैं
अब तो नमक भी इतना सस्ता नही...यू कहो हम पे नमक का भी एहसान किए बैठे हैं
दुश्मन सबके सामने मुझे मारने का इंटेज़ाम किए बैठे हैं
सपने रह जाए ना कुचल कर, इसलिए हमने पाव जमी पे सम्हल कर रखे हैं
जीने का मज़ा तो साथ हैं, इसलिए अरमान संभाल रखे हैं
डूब जाउ ना कहीं तेरे प्यार मे इस तरह
इसलिए ख़तरे के निशान आँखो मे रख रखे हैं
रिस्ता निभाना होता गर गैर से तो तुम्हे
क्यूँ सारे मुकाम दे रखे हैं
ये दुनिया ये महफ़िल सब तेरे नाम करते हैं
तुझ को ही चाहते हैं और झुक झुक सलाम करते हैं
बरफ सी ठंडी हवा ...............तेरा साथ
हाथो मे हाथ............ क्या बात हैं
हेरा फेरी की दुनिया हैं क्या कर सकते हैं
लहगा चोली का फॅशन अब लौट आया हैं
क्या कर सकते हैं
तुमसे ना मांगू तो किस से कहूँ
क्या कर सकते हैं
बच्चे तेरे, मैं भी तेरी , घर भी तेरा
क्या कर सकते हैं...
नही दे रही हूँ धमकी सच बोल रही हूँ
अपने आप को देखो फिर बताना
क्यूँ विष के तीर छोड़ रही हूँ
नही हैं किसी सिम का लालच
बस पुराने से मूह मोड़ रही हूँ
नही हैं किसी से भी नाता
बस ईश्वर से अपना रिश्ता जोड़ रही हूँ..
ये सच हैं प्यार करना छोड़ रही हूँ..
मेरा नया दिलबर कोई सिंधी नही हैं
ना ही वो लालची, वो तो सबको बराबर से देने वाला हैं
नही तोड़ रही ग़रीब की मटकी.....
तुम ही शक की तलवार फेक रहे हो...
जब मुक़द्दर मे हो आँसू तो मुलाकात भी वैसी ही होगी
अधूरी हो या पूरी बात ही ऐसी होगी...
जब छा गया अमावस जिंदगी मे तो कहाँ चाँदनी रात होगी
मत पूछ मेरी जिंदगी का हाल . तो बस यू ही बरसात होगी
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