तुम क्यूँ बार बार
मेरे पास से चले जाते हो
क्यूँ मेरे बिरह वेदना को
और बढ़ा जाते हो..
जब भी करती हूँ बंद आँख
मन मे तुम्हे खोने का
डर समाया रहता हैं
ज़रा सा ही महसूस
करती हूँ तुमको
झट आँख खोल देती हूँ........
बार बार हाथ से छू कर
देखती हूँ तुमको
कही चले तो नही गये.......................
एक बार दिला दो पूरा विश्वास
नही छोड़ोगे हमारा हाथ....
मेरे पास से चले जाते हो
क्यूँ मेरे बिरह वेदना को
और बढ़ा जाते हो..
जब भी करती हूँ बंद आँख
मन मे तुम्हे खोने का
डर समाया रहता हैं
ज़रा सा ही महसूस
करती हूँ तुमको
झट आँख खोल देती हूँ........
बार बार हाथ से छू कर
देखती हूँ तुमको
कही चले तो नही गये.......................
एक बार दिला दो पूरा विश्वास
नही छोड़ोगे हमारा हाथ....
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