कानो मे..... घंटिया
एक दिन जब नदी किनारे
डाला पानी मे पाव...
तडतडा उठी बिजलिया..
सहम गया मेरा पाव....
शायद तुम थे...........
जो कर रहे थे बरसो से
चिर मिलन की प्रतीक्षा...
नदी किनारे................
खड़े थे...मेरे लिए ही
अपनी बाह पसारे.....
की कब होगा हमारा मिलन....
जिसकी साक्षी बनेगी वो
शिव की मूर्ति...
जो नदी मे खड़ी थी.......
गवाह बनकर ...............
क्या ऐसा भी होता हैं......
मैने तो सुना था......
मिलन पे कानो मे.....
घंटिया बजा करती हैं..
वही होती हैं प्यार की हामी...
जो हिल हिल कर.......
जोरो से प्रेम के साक्ष्य
मे बजा करती हैं........
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