गाव से शहर को निकला एक युवक...
निहोर की याद मे खुद को जला डाला
उस बेचारी को क्या पता
अब निहोर नही आने वाला..
पता नही क्या हुआ होगा निहोर के साथ..
शहर की हवा..सबके बस की नही होती..
निगल जाती हैं..ना जाने कितनो को..
सबकी किस्मत अच्छी नही होती..
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
1 Comments:
आपकी यह पोस्ट आज के (१७ दिसम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - कैसे कैसे लोग ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
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