तुम्हारे शब्द
तुम्हारे लिखे शब्द
मुझे समझ तो आते है
लेकिन
पकड़ नही आते
पकड़ू भी क्यों
आखिर उन्हें भी तो आज़ादी चाहिए
घूमने की
फिरने की
सांस लेने की
चलने की
बहकने की
बहकाने की
बह जाने की
धधकने की
भड़क जाने की
दर्द की
गीत की
खुशी की
झूम जाने की
पास आने की
दूर जाने की
सिसकने की
तड़पने की
तड़पाने की
क्यों रोकूँ
बह जाओ मेरे शब्दों
सारे संसार मे
जज्ब कर लो
सबके दर्द
जो ले रहे है
सिसकियां
हमारे तुम्हारे दिलो में
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