खुशी से ही मर जाउंगी........
मेरी चाहत हैं कि मैं
जनम जनम तक प्यासी रहू
तुम्हारी ये चाहत, मेरी रूह को भी
सुकून मिले..
दोनो की चाहत
कैसे पूरी हो सकती हैं
क्या चाँदनी रात मे
कभी बारिश हो सकती हैं
पतझड़ मे कभी
फूल नही खिल सकते
वैसे ही अजनबी हम और तुम
कभी नही मिल सकते
हमारे और तुम्हारे
दायरे अलग अलग हैं
तुम हो आभासी दुनिया के शहज़ादे
मैं इस छोटी सी दुनिया की
कोमल सी लड़की हूँ
मैने कभी नही देखा
खुलकर आसमान..............
यही जमी पे पॅली बढ़ी हूँ
तुम दिखाते हो हमे दिन मे सपने
मुझे इनमे ना उलझाओ..........
जाओ कही दूर चले जाओ...
मुझे यू ना सताओ..
अगर रंग गई तुम्हारे रंग मे तो
तुम्हारे बिना जी ना पाउंगी.......
तुम्हे पा भी गई तो
खुशी से ही मर जाउंगी........
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