भीगी भीगी शाम
भीगी भीगी शाम ....अतीत का पन्ना
उसमे तुम्हारा उदास चेहरा
ना जाने क्यूँ मुझे बार बार
याद आ रहा था
लगा की तुम कुछ
कहना चाह रहे थे मुझसे
लेकिन कह नही पा रहे थे .....
शायद मुझे कुछ एहसास भी था की तुम
क्या कहना चाह रहे थे....
लेकिन मैं बहुत खुश थी उस वक़्त
मुझे कुछ सूझ नही रहा था...
बस दिख रहा था सामने एक लक्ष्य
आख़िर जीवन की परीक्षा का
पहला इम्तीहान जो
पास किया था मैने
मुझे लग रहा था मुझे अभी
और और आसमान छूना हैं
सितारो से भी आगे जाना हैं..
मैं खुशी खुशी अपना समान
बाँध रही थी...
क्यूंकी मुझे अगले दिन
सुबह गाड़ी पकड़नी थी
जाकर नया जीवन जीना था....
चाह कर भी तुम कुछ
कह नही पा रहे थे
और मैं जान कर भी अंजान
होने का नाटक कर थी.......
अब मैं यहा आ चुकी थी.....
धीरे धीरे जीवन की रेल गाड़ी ने भी
अपनी रफ़्तार पकड़ ली थी..............
सब कुछ मेरे मन मुताबिक
व्यवस्थित हो चुका था
आज फिर मैं अकेले कुर्सी पे टिकी
अतीत के पन्ने पलट रही थी
और उन पन्नो पे तुम्हारा अक्स
रह रह कर उभर रहा था
अब जब मेरे पास सब था
तुम नही थे..
बहुत दूर जा चुके थे...
सुखद कहानी का दुखद अंत
जो अभी ठीक से
परवान भी ना चढ़ि थी...???????????????
- Aankhe bheeg jaati hain, Dil bhi udaas ho jaata hai.... Jindgi ki kitab palate hue, jab koi sookha gulab nikal aata hai............ Aparna jiiii, sundar rachna.....September 13 at 12:09pm · · 1 person
- Manoj Gupta साँझ ढलते ही
तेज़ी से बंद कर लेते हो तुम
अपने मन के कमरे के दरवाज़े
फिर पलटते हो पन्ने
सुनहरी यादों के
और मैं ...........
तुम्हारी सांसों संग बन समीर
खिंच आती हूँ भीतर तक
देखती हूँ कमरा ..........
फैले हैं ढेरों पन्ने
आत्मीयता के बिस्तरे पर
और ..........
करीब ही रक्खी है
उम्मीद की मद्धिम लालटेन भी
जिसकी हलकी रौशनी काफी है .............
संजोने को हर सामान !September 13 at 12:28pm · · 2 people - Aparna Khare waah manoj ji......sambhal lete hain khud ko..tumhari yado seSeptember 13 at 12:29pm · · 1 person
- Alam Khursheed आज फिर मैं अकेले कुर्सी पे टिकी
अतीत के पन्ने पलट रही थी
और उन पन्नो पे तुम्हारा अक्स
रह रह कर उभर रहा था...............Waah Aparna Ji!
Aap ke liye ek she'r:
_____________________________________
Hamen khabar hai kabhi laut kar n aayenge
Gaye dinoN ko magar ham bulate rahte hain
_____________________________________ September 13 at 1:50pm · · 2 people - Aameen Khan wow!!!! atit ke panno ko aapne bakhubi palta hai.... aur pratek panne ka bakhuubi chitran kiya hai.September 13 at 4:09pm ·
- Meenu Kathuria मैं अकेले कुर्सी पे टिकी
अतीत के पन्ने पलट रही थी
और उन पन्नो पे तुम्हारा अक्स
रह रह कर उभर रहा था.............wah bahut
khoob surat ahsaas........ke saath aapki rachna....Aparna Khareji........September 13 at 10:58pm · - Gopal Krishna Shukla जीवन की गादी चलती है... चलती चली जाती है.... रुकती नही... पर जब रुकती है... तब....?
सुन्दर भावाव्यक्ति अपर्णा जी... बहुत खूब...September 14 at 12:03am · - Ramesh Sharma बस दिख रहा था सामने एक लक्ष्य
आख़िर जीवन की परीक्षा का
पहला इम्तीहान जो
पास किया था मैने..wahhhhSeptember 14 at 11:03am · - Rajani Bhardwaj लगा की तुम कुछ
कहना चाह रहे थे मुझसे................ pr kh na ske tumseSeptember 14 at 1:03pm ·
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