जब सँवारा हैं मेरा नूर
तूने अपने आईने मे
क्यूँ ढूढ़ते हो अपना
अक्स उसी आईने मे
कटु होती हैं ज़ुबान आईने की...
मत पूछना कोई सवाल आईने से
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
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