Wednesday, September 21, 2011

वजूद




अपने वजूद को ख़तम कर
क्या कोई जी पाया हैं..
गर जिया भी हैं तो 
जिंदा लाश कहलाया हैं
वजूद से परे कोई 
परिभाषा नही होती..
कोई आशा या निराशा नही होती..
सूखे वृक्षो पे हरियाली नही होती
जिंदा रहना हैं तो ..
अपने वजूद के साथ...
मरना हैं तो वजूद के साथ...
लोगो को कहने दो....
मुझे अपनी तरह से जीने दो...

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