एक टुकड़ा धूप का -
धूप की ताक झाक
आज भी चालू हैं
सुबह से ही खोज रही हैं..
जज्बातो को...........
जो उसे छोड़ कही और
अपना डेरा जमा चुके हैं
धूप हैं कि उसे पूरा भरोसा हैं
वो कहीं नही जा सकते उसे छोड़ कर
भले ही रात उसका कितना भी साथ दे....
कितनी भी वो काली हो जाए......या फिर
दिन भी उसके साथ हो जाए.................
छिपा ले अपने आप को बदली मे आज
उसे पता हैं उसके ज़ज्बात ........
उसे छोड़ कहीं ना जाएँगे..........
आज जो हो गये हैं धूप से गुस्सा
कल गुस्सा उतरते ही ..........
दौड़े चले आएँगे.......कहाँ देख पाएँगे
उसकी कोरो मे छिपे आँसू
सॉरी बोल गले से लिपट जाएँगे..........
करेंगे गले मे हाथ डाल गॅलबहिया
पल मे सारा गुस्सा काफूर कर जाएँगे..
दौड़ जाएगी धूप के चेहरे पे खुशी की किरण
दोनो एक बार फिर फूले नही समाएँगे...
आज भी चालू हैं
सुबह से ही खोज रही हैं..
जज्बातो को...........
जो उसे छोड़ कही और
अपना डेरा जमा चुके हैं
धूप हैं कि उसे पूरा भरोसा हैं
वो कहीं नही जा सकते उसे छोड़ कर
भले ही रात उसका कितना भी साथ दे....
कितनी भी वो काली हो जाए......या फिर
दिन भी उसके साथ हो जाए.................
छिपा ले अपने आप को बदली मे आज
उसे पता हैं उसके ज़ज्बात ........
उसे छोड़ कहीं ना जाएँगे..........
आज जो हो गये हैं धूप से गुस्सा
कल गुस्सा उतरते ही ..........
दौड़े चले आएँगे.......कहाँ देख पाएँगे
उसकी कोरो मे छिपे आँसू
सॉरी बोल गले से लिपट जाएँगे..........
करेंगे गले मे हाथ डाल गॅलबहिया
पल मे सारा गुस्सा काफूर कर जाएँगे..
दौड़ जाएगी धूप के चेहरे पे खुशी की किरण
दोनो एक बार फिर फूले नही समाएँगे...
4 Comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति ....
shukriya Pratibha ji...
बहुत सुन्दर .....:)
thanks di
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