परिवार का मोह
परिवार का मोह
हमे सताता हैं
बिना परिवार हमसे
रहा नही जाता हैं
चाहो तो अपने
विष्णु भगवान से पूछ लो
अपने तीसरे अवतार मे
उन्होने भी परिवार का सुख पाया हैं
हिरणाक्श को मारने हेतु उन्होने भी
वाराह अवतार का रूप बनाया हैं
वध किया हिरणाक्श का ........
लेकिन खुद को वही फसाया हैं
खूब किया प्यार अपने पत्नी बच्चो को
दलदल मे अपने को गिराया हैं
जब नही मिले वो देवताओ को
देवताओ ने ने उन्हे सुवर के रूप मे उन्हे पाया हैं
लगाया जब तीर सुवर को
उसे वही मार गिराया हैं
तब कहीं जाकर विष्णु को भी अपना
असली स्वरूप याद आया हैं
सोचो............
कितनी लुभावनी हैं माया
कोई भी इसके चंगुल से
बच नही पाया हैं
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