Wednesday, December 11, 2013


तुम्हारी ये मदहोशी..किसी की जान ना ले ले..
तुम्हारे साथ जो उतरी ये खामोशी...हमे..बेताब ना कर दे..
हमी ने कहा था..कभी तुमसे..नज़र सुलझी तो सुलझेंगे..
देखो अब आ गई वो घड़िया...थोडा सा और झूम लेने दो..
जश्न की रात हैं आई..हमे अब ...कुछ ना कहने दो...

नदी, समुंदर, पहाड़, जंगल...
हर शय हसीन
तुम्हारी नज़र पारखी..
दुनिया मे नज़र आए..
बरकत ही बरकत..
खुदा बक्शे तुम्हे हर नियामत..


चलो तुम समझे तो सही..
कसम ना खाओ..इतनी गॉड की..

अब चलेगा विराज का राज..
दादी की बात भूल जाओ आज..
नन्ही तॉतली बाते...याद आएँगी जब
दादी का मुखड़ा दुख मे डूब जाएगा ..तब



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