Wednesday, December 25, 2013

दिन गुनगुना सा हो गया..


सूरज की कलाकारी..के आगे... 
हम फीके पड़ जाते हैं.. 
वो बिखेरता हैं रंग अनोखे... 
हम बस बटोरते रह जाते हैं.. 
देता हैं एक मुस्कान.. 
भरी ठंडक मे.... जाती हैं  
जिस्म मे नई जान 
मेरे प्यारे सूरज.... 
तुझे सुबह की पहली प्रणाम.. 
 
सुबह का सूरज.... 
खिलखिलाती सर्दी... 
चाय का कप.... 
हाथो मे अख़बार.... 
दिन गुनगुना सा हो गया..

2 Comments:

At December 26, 2013 at 12:23 AM , Anonymous Anonymous said...

:)

 
At December 30, 2013 at 11:15 PM , Blogger अभिमन्‍यु भारद्वाज said...

नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामाये
अवश्‍य देखिये क्‍योंकि यह आपके सहयोग के बिना संभव नहीं था -
माय बिग गाइड का सफर 2013

 

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