तुमसे मैं सम्पूर्ण हुई
उम्र की ढलान पर
हम तुम
साथ चलते हुए
महसूसते है
एक दुसरे का साथ
कितना
जरुरी सा लगता है
खाली खाली सा होता
अपना दिन
तुम्हारे होने मात्र से
भर उठता है
अब शायद
हमारी जरूरते
बढ़ गई है
तुम्हे भी चाहिए
एक ऐसा
जो
रिटायर होने के बाद का
तुम्हारा खालीपन भर सके
मुझे भी चाहिए
एक ऐसा जो
मेरे जोड़ो के दर्द को
महसूस कर सके
दिला सके
मुझे याद
वक़्त पे
दवाई खाने की
दांतो में हो दर्द हो
तो
डॉ को दिखाने की
साथ में हो सके
सुबह की ताज़ा सैर
ताकि
शुगर और बी पी
दोनों
कण्ट्रोल रह सके
अब जब
दुनिया की सारी चीजे
बेटी बेटा
सब सिचुएशन
अंडर कण्ट्रोल है
तो मुआ
हमारा और तुम्हारा
शरीर ही
आउट ऑफ़ कण्ट्रोल
हुआ जाता है
जब वक़्त है
अपने लिए तो
ठीक से जिया भी तो
नहीं जाता है
ईश्वर भी न जाने
कैसे खेल रचता है
कैसे अचानक मिलाता है
उम्र भर के लिए
एक कर देता है
तुम मिले तो मैं
सम्पूर्ण हुई
तुम्हारे लिए ही
शायद
मैं इस धरती पे
रची गई
शुक्रिया जीवनसाथी
उम्र भर साथ निभाने का
साथ चलने का
मुझे अपनाने का
2 Comments:
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ११ जुलाई, २०१५ की बुलेटिन - "पहला प्यार - ज़िन्दगी में कितना ख़ास" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
तभी तो कहते हैं जोड़े ऊपर से बनकर आते हैं ..
पति-पत्नी का आपसी ख्याल ही एक दूजे का सबके बड़ा संभल होता है
बहुत सुन्दर रचना
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