ये कैसी उम्र में आकर मिले हो तुम
ये कैसी उम्र में आकर मिले हो तुम?
अब जब की सब छूटता सा नजर आता है
धुंधला गई है निगाहे
मन कुछ स्थिरता चाहता है
काले बाल अब पूरे काले न रहे
उनमे रंग भरना पड़ता है
नहीं रही वो उम्र कि तुम्हे
जी भर कर देखू
घुमु फिरू, नया जीवन जियु
देखो न मेरे पैर भी अब
मेरा साथ नहीं देते
मेरे चेहरे ने भी खो दिया है
अपना स्वाभाविक रूप
शरीर भी बेडौल हुआ जाता है
थाम कर हाथ तुम्हारा
दूर तक नहीं चल सकती
सुनो न
अब तुम्हे मेरे साथ साथ चलना होगा
गर बैठ जाऊ थक कर तो
तुम्हे भी आराम करना होगा
नहीं मचाना होगा शोर
क्योंकि
अब मुझसे
जल्दी कोई काम नहीं होता
थोडा सब्र से काम लेना होगा
कुछ उम्र का तकाज़ा
कुछ देर से हमारा मिलना
शायद कुछ एहसास जो बाक़ी थे
अब अपना आकार ले सके
हम निभा सके एक दूजे का साथ
कुछ पल तो अपने लिए जिए
अब जब की सब छूटता सा नजर आता है
धुंधला गई है निगाहे
मन कुछ स्थिरता चाहता है
काले बाल अब पूरे काले न रहे
उनमे रंग भरना पड़ता है
नहीं रही वो उम्र कि तुम्हे
जी भर कर देखू
घुमु फिरू, नया जीवन जियु
देखो न मेरे पैर भी अब
मेरा साथ नहीं देते
मेरे चेहरे ने भी खो दिया है
अपना स्वाभाविक रूप
शरीर भी बेडौल हुआ जाता है
थाम कर हाथ तुम्हारा
दूर तक नहीं चल सकती
सुनो न
अब तुम्हे मेरे साथ साथ चलना होगा
गर बैठ जाऊ थक कर तो
तुम्हे भी आराम करना होगा
नहीं मचाना होगा शोर
क्योंकि
अब मुझसे
जल्दी कोई काम नहीं होता
थोडा सब्र से काम लेना होगा
कुछ उम्र का तकाज़ा
कुछ देर से हमारा मिलना
शायद कुछ एहसास जो बाक़ी थे
अब अपना आकार ले सके
हम निभा सके एक दूजे का साथ
कुछ पल तो अपने लिए जिए
2 Comments:
बहुत सुन्दर लगी आपकी कविता. मै इसे अपने फेसबुक पेज पर डाल रहा हूँ. मेरा पेज है- अपना देश अपनी संस्कृति. साभार महोदया.
shukriya tiwari ji..
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