आड़ी तिरछी लकीरे
वह छोटी सी थी
तभी खेल खेल में
कोयले से
खींचा करती थी
जमीन पर
आड़ी तिरछी लकीरे
शायद कभी नसीब
चमक जाये
लेकिन काली लकीरे भी
क्या कभी सफेद हुई है
या आई है उनसे चमक
कभी जिंदगी में
खेल खेल में जिंदगी ही
खेल हो गई
हमेशा की तरह
एक मासूम लड़की
फिर छली गई
काला टीका
काली लकीरे
काला नसीब
यही है भोलेपन की सजा
जो भोगनी है उसे
हर जनम में
बार बार
हर बार
तभी खेल खेल में
कोयले से
खींचा करती थी
जमीन पर
आड़ी तिरछी लकीरे
शायद कभी नसीब
चमक जाये
लेकिन काली लकीरे भी
क्या कभी सफेद हुई है
या आई है उनसे चमक
कभी जिंदगी में
खेल खेल में जिंदगी ही
खेल हो गई
हमेशा की तरह
एक मासूम लड़की
फिर छली गई
काला टीका
काली लकीरे
काला नसीब
यही है भोलेपन की सजा
जो भोगनी है उसे
हर जनम में
बार बार
हर बार
1 Comments:
:(
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