Tuesday, April 24, 2018

प्रेम का न दिखना

सच कहा
प्रेम ऐसा हो
जो रगों में बहे
आंखों से दिखे
होंठो से चुए
प्रेम शब्द
लबों पे न आये
फिर भी प्रस्फुटित हो
हमारे हाव भाव से
हमारी क्रिया शैली से
हम हवा में उड़े
लेकिन हमारा उड़ान
किसी को पता न चले
देह की देहरी से
प्रेम झांके
बाहर न आये
बाहर आते ही
प्रेम का हास्यास्पद बनना
लाजिमी हो जाएगा!!!!

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