Wednesday, June 6, 2018

अशक्त बुढापा


पार्क में टहलते कुछ वृद्धों को देख कर मन मे खयाल आया हम भी कल वृद्ध होंगे हमारा खयाल कौन रखेगा
जवाब भी मन ने ही दिया.....

अशक्त बुढापा
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सच्चाई की सुबह
पार्क की ठंडी हवा
आंखों के आगे
लहराता भविष्य
क्या हम भी होंगे
अशक्त
कौन हमे थामेगा
कौन उठाएगा
हमारा कठिन बोझ
प्रश्न अनुत्तरित है
लेकिन
इन प्रश्नों का उत्तर
हम स्वयं है
आज है हम सक्षम
बांट ले
अपनो का बोझ
बिताए वक़्त
उनके साथ
खिलखिलाए, हँसाये
अकेलापन
दूर करे उनका
कोई हमारे लिए भी आएगा
हमे भी देगा
अपना साथ
उठ जाओ
जुट जाओ
अपने काम पे
वरना
दिन बदलते
देर नही लगती!!!!अपर्णा खरे

1 Comments:

At June 16, 2018 at 2:28 AM , Anonymous Anonymous said...

:(

 

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