प्रवेश
रात के सवा दो बजे है
आंखों से नींद गायब है
दिल मे अजीब सूनापन है
यादों का काफिला
बदस्तूर आंखों में तैर रहा है
दिल है कि
जार जार रोना चाहता है
बेबादल बरसात से
शायद हल्का हो जाये
बहुत थक गई हूं मैं
खुद से लड़ते लड़ते
अब दुनिया की बादशाहत छोड़
प्रवेश पाना चाहती हूँ
परमात्मा की दुनिया में
सुना है वहाँ कोई दुख नही रहते!!😊
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