Thursday, July 23, 2020

प्रवेश


रात के सवा दो बजे है
आंखों से नींद गायब है

दिल मे अजीब सूनापन है

यादों का काफिला 
बदस्तूर आंखों में तैर रहा है 
दिल है कि 
जार जार रोना चाहता है
बेबादल बरसात से
शायद हल्का हो जाये

बहुत थक गई हूं मैं
खुद से लड़ते लड़ते
अब दुनिया की बादशाहत छोड़ 
प्रवेश पाना चाहती हूँ 
परमात्मा की दुनिया में

सुना है वहाँ कोई दुख नही रहते!!😊

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