बाँध के पत्थर पंछी से
बाँध के पत्थर पंछी से
कहते हो तुम सैर करो..
रख के ख़यालो को मॅन मे
कहते हो तुम मौज़ करो.
रख कर ख़यालो को मॅन मे
क्या तुमने कभी सुख पाया है..
देकर अपने विचारो को गुरु को..
तभी आनंद मौज़ मनाया है..
मुक्त करो अपने मॅन को..
अपने मॅन मे तुम तेज़ भरो
बाँध.....................
मॅन का रास्ता गॅड्डवला
गुरु का रास्ता आनंडवाला
मॅन के रास्ते पे घुटन भरी है..
गुरु की सड़क पे किलकरी है
मॅन को मॅन से मनाकर
आत्मा की तुम सैर करो
बाँध...
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