मंन तो जिन्न के जैसा है
मंन तो जिन्न के जैसा है..
दिन भर हमको ख़ाता है..
कभी उठा कर इधर ले जाता ..
कभी उठा उधर ले जाता..
इस्थिर हमको ना कर पाता है..
दुख मे हमको दुखी कर देता..
सुख मे हमको सुखी कर देता..
सम रहना ये भुलाता है..
मंन तो जिन्न के जैसा है..
दिन भर हमको ख़ाता है..
गुरु मिले तब हमे बताए..
सीधी राह पे हमे चलाए..
मंन को किसी काम पे लगाए..
सबको दादा का ज्ञान सुनाए..
करे प्रेम और सबसे कराए..
गुरु कहे इसे सीढ़ी दिखाए..
दिन भर उतरे, चड़े, चढ़ाए..
ज़िक्र करे और सबसे कराए..
तभी प्रभु को भाता है..
मंन तो जिन्न के जैसा है..
दिन भर हमको ख़ाता है..
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home