Thursday, June 16, 2011

चलो फिर ढूंड लाए हम


चलो फिर ढूंड लाए हम
उसी मासूम बचपन को
जॅहा हम चहकते थे, महकते थे
उड़ते थे बादलो जैसे,
तितलियो को पकड़ते थे,
छूते थे आसमानो को, 
आपस मे खूब लड़ते थे
लड़कर एक हो जाना
माँ को डर कर
कुछ भी ना बता पाना
ये सब कल की ही तो बातें हैं
वो मासूम सी बाते अभी तक याद आती है
यादो को हवा देते ही आँखे भर सी जाती हैं

नही वो दिन हैं प्यारे से,
नही मासूम राते हैं
बस आज मेरे पास वो 
मुट्ठी भर यादें हैं..
उन ही को याद कर लेते हैं
सारे भाई बहन आपस मे बाँट लेते हैं
थोड़ा सा खुश हो लेते हैं 
थोड़ा सा रो लेते हैं
हम बचपन को यू ही बस याद कर लेते हैं

खोज लेते हैं उसी बचपन को 
अपने प्यारे बच्चो मे
उन्हे ही प्यार कर 
समेट लेते हैं उसी मासूम बचपन को
उन्ही चंद यादो को..उन्ही प्यारे से लम्हो को...



    • Aameen Khan chalo dhuund laaye uss maasum bachpan ko, vo kagaz ki kashti; vo baarish ka paani.......bass muzko lauta do mera bachpan.
      June 3 at 2:22pm ·  ·  1 person
    • Kamal Kumar Nagal aparana ji aap ki lekhni me sabdo ka upyog kabile tarif hote ..bahut sundar rachna likhti ha...bachpan ko bhula na paye jindgi sab se sundar samay bachpan hi hota ha....
      June 3 at 2:31pm · 
    • Aparna Khare thanks Aameen Khan ji...kaha ata hain bachan
      June 3 at 2:34pm · 
    • Aparna Khare thanks Kamal Kumar Nagal ji sach kaha jindagi ka sabse pyara samay bachpan
      June 3 at 2:35pm · 
    • Om Prakash Nautiyal सच है बच्चों के साथ हमारा बचपन वापस आ जाता है। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है अपर्णा जी।
      *
      June 3 at 2:38pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare thanks Om prakash ji
      June 3 at 2:40pm · 
    • Aparna Khare thanks Anita Ukrani ji...mera likhna saphal ho gaya..
      June 3 at 3:04pm · 
    • Aparna Khare चलो इस शुक्रिया को आधा आधा बाँट लेते हैं..थोड़ा तुम इसे रखो थोड़ा हम रखते है
      कैसे समेट लिया है बचपन को आपने अपनी बाहो मे
      फिसल ना जाए हाथों से रखना इसका ध्यान ज़रा..
      June 3 at 3:13pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare ‎Anita Ukrani ji आँखो को आज बहने दो...
      बचपन को आँखो मे रहने दो..
      सब कुछ लौट आता है
      चाहे दौलत हो या शोहरत हो..
      मगर बचपन नही आता
      June 3 at 3:20pm ·  ·  3 people
    • Parveen Kathuria Aparna Khare..ji.....bahut achchha likha aapne....par ab kahan se layen dhoond kar vo bachpan????
      June 3 at 4:09pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare Parveen Kathuria jii..यादे बचपन की बहुत दूर तक जाती हैं..
      छोटी छोटी शैतानियाँ आज भी मॅन को भिगो जाती हैं..
      भूल ना पाए बचपन को, बचपन तो बस ऐसा होता हैं
      कोरे कागज पे बिन स्याही बहुत कुछ लिखा होता हैं
      कारू का ख़ज़ाना भी कम पड़ जाता हैं
      सच कहती हूँ जब बचपन याद आता हैं
      June 3 at 4:09pm ·  ·  2 people
    • Naresh Matia हम बचपन को यू ही बस याद कर लेते हैं
      खोज लेते हैं उसी बचपन को
      अपने प्यारे बच्चो मे
      उन्हे ही प्यार कर
      समेट लेते हैं उसी मासूम बचपन को
      उन्ही चंद यादो को..उन्ही प्यारे से लम्हो को................bachpan ko yaad karte hue rone se achcha hain ki aage ka dekha jaaye.........mai bhi yehi kahta hun.jo aapki in panktiyo mei likha hain......ki bachpan ko apne bachpan mei khoj lete hain...aur yehi positive bat jeevan ko aage badhane mei bahut sahayak hoti hai....
      June 3 at 4:11pm ·  ·  4 people
    • Kundan Goswami Aasu Nikal Pade To Khud Poch Lena Agar logon Ne Pocha To Kimat MAngege!
      June 3 at 4:12pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare sach kaha apne..Naresh Matia ji
      June 3 at 4:12pm · 
    • Aparna Khare Kundan Goswami bhai...true 100%
      June 3 at 4:12pm · 
    • Kundan Goswami Maa Tumne Mujhe Sabkuch Sikhaya Magar Tumhare Bger Jena Nahin Sikhaya!
      June 3 at 4:15pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare सागर से भी गहरा, माँ तेरा प्यार हैं...
      तेरे बिना जीना कैसा? तू मेरा संसार हैं
      June 3 at 4:21pm · 
    • Manoj Gupta बचपन के दिन भी क्या दिन थे
      उड़ते फिरते तितली बन के
      वहाँ फिरते थे हम फूलों में पड़े
      जहाँ ढूँढते सब हमें छोटे बड़े
      थक जाते थे हम कलियाँ चुनते

      बचपन के दिन भी क्या दिन थे
      उड़ते फिरते तितली बन के

      कभी रोये तो आप ही हँस दिये हम
      छोटी छोटी ख़ुशी छोटे छोटे वो ग़म
      हाय रे हाय हाय हाय हाय रे हाय
      कभी रोये तो आप ही हँस दिये हम
      छोटी छोटी ख़ुशी छोटे छोटे वो ग़म
      हाय क्या दिन थे वो भी क्या दिन थे

      बचपन के दिन भी क्या दिन थे
      उड़ते फिरते तितली बन के
      बचपन
      June 3 at 4:26pm ·  ·  2 people
    • Aparna Khare thanks Manoj ji nice song
      June 3 at 4:26pm ·  ·  1 person
    • Manoj Gupta हम बेसुध खेला करते थे
      माँ हमें खिलाने आती थी
      “पापा से कह दूँगी “
      “ना” कहने पर यूँ डराती थी
      हमें खिलाकर ताज़ा खाना
      माँ बासी रोटी खाती थी
      --------
      नदी की कलरव में तुम हो
      पंछी की कोलाहल में तुम हो
      बहती हुई हवा में तुम हो
      पेडों की छाया में तुम हो
      तुम्हे भूल जाऊँ मैं कैसे
      माँ मेरी हर धडकन में तुम हो !!
      June 3 at 4:28pm ·  ·  1 person
    • Niranjana K Thakur wah ! bahut sunder !
      June 3 at 4:55pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Niranjana K Thakur ji
      June 3 at 4:57pm · 
    • Kiran Arya Bachpan ki sunhari yaado ko phir se taaza karne ke liye Mitr yeh pyari si muskaan tumhare liye.............:))
      June 3 at 5:05pm ·  ·  2 people
    • Manoj Kumar Bhattoa wah ! Aparana ji bahut khoob.....lekin kaha bachpan yaad karba diyaa....?
      June 3 at 5:05pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare thanks Kiran...)))))
      June 3 at 5:07pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare Manoj Kumar Bhattoa sab jaruri hain......
      June 3 at 5:08pm · 
    • Rajiv Jayaswal जाने कहाँ गये वो दिन
      पिता का गुस्सा मा का प्यार,
      दादी का वो लाड़ दुलार,
      दोस्त यार, बचपन के खेल,
      कभी लड़ाई, कभी था मेल,
      जाने कहाँ-----
      घर, बगिया, मेहंदी का पेड़
      आँगन में पत्तों का ढेर,
      सावन में पेड़ों पर झूले,
      ये सब बातें कैसे भूलें ,
      जाने कहाँ-----
      one can never forget his childhood.
      June 3 at 11:24pm ·  ·  2 people
    • Meenu Kathuria Aparna ji sahi kaha aapne.........वो मासूम सी बाते अभी तक याद आती है
      यादो को हवा देते ही आँखे भर सी जाती हैं......बस बच्चपन कि यादें ही रह जाती हैं ......
      June 4 at 12:47am ·  ·  2 people
    • Kump Singh वाह......
      मुझे मेरा बचपन याद आया पर अफ़सोस,
      उम्र बढ़ाता ही गया मैं वापस जा न पाया
      June 4 at 9:48am ·  ·  2 people
    • Aparna Khare Thanks Rajiv Jayaswal ji...kaash phir se bachha ban jaye
      June 4 at 2:29pm · 
    • Aparna Khare Meenu Kathuria...teri yaad sath hai..
      June 4 at 2:30pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare Kump kya koi na laut paya hain...jab bhi yaad kiya..isne sirph rulaya hai....
      June 4 at 2:31pm · 
    • Meenu Kathuria jab bhi yad kiya .........isne sirf rulaya hai.........bas yadon main hi samaya hai........hamare baccho ke roop main samne aaya hai......
      June 4 at 2:33pm ·  ·  1 person
    • Aparna Khare apne sahi pharmaya hain....
      June 4 at 2:34pm ·  ·  1 person
    • Ashish Khedikar Awesome and touching poem✿⊱╮
      June 7 at 12:46pm ·  ·  1 person

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home