Wednesday, September 21, 2011

मोह - माया


चर्चित बाबा के चक्कर में
नटखट बाला हुई बीमार,
बाबा हैं साधू - सन्यासी
वो पूरी कलयुगी नार.....
बाबा जब भी धुनी रमाते
वो हो जाती है हाज़िर,
इधर - उधर से ढांप - ढूंप के
करने लगती कविता वार,
फिर भी बाबा ना बोलें जब
ध्यान तोड़ती सीटी मार.....
आप लोग ज्ञानी - ध्यानी सब
जल्दी कोई उपाय बताएं,
नहीं तो बाबा चले हिमालय
छोड़ - छाड़कर ये संसार.....
 ·  ·  · 4 hours ago
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    • Aparna Khare 
      बाबा तो सबको उपाय बतलाते
      उन्हे क्या कोई बताए उपाय..
      सबको मोह ममता वो छुड़वाते
      उनकी कौन छुड़ाय......
      नटखट बाला से बचना
      असंभव सा नज़र आता हैं..
      क्यूंकी...कामिनी, कंचन, कीर्ति
      इन तीनो से बचना प्रायः नामुमकिन
      सा हो जाता हैं....
      फिर भी बाबा चाहे तो अपनी
      समाधि मे चले जाए.....
      कन्या जब थक के चूर जाए...
      उन्हे भूल जाए तब ....
      समाधि से वापस आए..
      वरना बाबा की सारी मेहनत
      पानी मे चली जाएगी...
      कन्या उन्हे फिर से जनम मरण
      के चक्कर मे फसाएगी...
      संसार हैं मिथ्या तो....
      कन्या भी मिथ्या हैं...
      क्या फसना कन्या मे..
      ये तो बाबा के योग की परीक्षा हैं..
      बाबा गर पास हुए तो भगवान मिलेगा..
      गिर गये कन्या के चक्कर मे तो
      बार बार जनम लेना पड़ेगा.....
      about an hour ago ·  ·  2 people
    • Vishaal Charchchit वाह अपर्णा जी,
      मर्ज़ छोटी सी दवा इतनी भारी
      कि देखकर ही भाग जाय बेचारी बीमारी,
      आप भी लगता है बाला की ही ओर हैं
      इसीलिये कहते हैं नारी से दुनिया हारी.......
      about an hour ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare 
      सही कहा विशाल भाई
      हम भी बाला की ओर हैं
      क्यूंकी नारी ही नारी का साथ
      नही देगी तो कौन देगा??
      लेकिन बाबा की बीमारी
      आज की नही
      सदियो से पुरुषो पे भारी...
      मैने तो सरल उपाय सुझाया था
      बाबा को कन्या से बचाया था..
      गर नही पसंद हैं तो उपाय वापस लेती हूँ
      बाबा को कोई नही बचा सकता अब..
      इस बात की गारंटी लेती हूँ.....
      नारी कल भी भारी थी
      नारी आज भी भारी....
      पुरुष कल भी अभारी
      आज भी अभारी....
      ये बात पुरुष जनहित मे जारी..
      19 minutes ago · 
    • Vishaal Charchchit अरे - अरे आप तो नाराज हो गयी अपर्णा जी.....
      हास्य है....हास्य में हास्य धर्म निभाइए
      मित्रवत निवेदन है तेवर मत चढ़ाइए
      नारियां तो भारी हैं भारी ही रहेंगी
      आप बेवजह बाबा पर बम मत बरसाइये....
      11 minutes ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare नाराज़ होना मेरी फ़ितरत नही...
      हंस हंस के जख्म सह लेते हैं..
      ये मेरी ही नही..सारे संसार की
      नारियो का हाल हैं....
      बाबा तो बेचारे खुद मरे जा रहे हैं
      हमे क्या ज़रूरत की हम बम गिरा
      के उन्हे डरा रहे हैं...
      8 minutes ago ·  ·  1 person
    • Vishaal Charchchit आपको ज़ख्म भला कौन दे सकता है
      आपकी 17 लाइनों को कौन झेल सकता है
      शुक्र है कि अब जाकर 6 पे आई हैं
      वर्ना तो लगा बाबा की दुनिया से विदाई है......
      3 minutes ago ·  ·  1 person
    • Aparna Khare धन्यवाद विशाल भाई...
      ये तो सिर्फ़ अंगड़ाई हैं...
      बाबा को बचाने की कसम तो
      अपने खाई हैं.....
      लेकिन गिरतो को कौन बचा पाया हैं
      उन्हे तो केवल उनका विवेक ही बचा सकता हैं...
      वरना.....गिरना उनका पक्का पक्का हैं..
      a few seconds ago · 

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