जिंदगी भी घर के पास वाली
गली के जैसी होती हैं
दिन मे कितनी चहल पहल
रात मे खाली खाली होती हैं
जिंदगी के कुछ लम्हे
दिन की तरह चमकते हैं
लेकिन रात आते आते
अंधेरो से भर उठते हैं
लोगो की भीड़ से घिरे हम
रात को अकेले हो उठते हैं
राते हमे तन्हा कर जाती हैं
खुद से लड़ने के लिए
अकेला छोड़ जाती हैं
और उस तन्हाई मे हम ढूँढते हैं
अपनो का साथ, उनका अपनापन,
उनकी बात, उनके एहसास
जब वो नही मिलते
तो हम बेचैन हो उठते हैं
खुद को परेशान कर देते हैं
रोते हैं उन्हे खोजते हैं??????????
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