Friday, December 2, 2011


मैं ठहरी रही .....
तुम बह गए किनारे की रेत की तरह .....
यादों के लम्हे यही ठहर गए साथ मेरे चट्टान की तरह ....


तुम क्या गये मेरा सब कुछ ले गये
चैन, सुकून, नींद और ना जाने क्या क्या
रह गई तो बस तुम्हारी बातें, यादें और मुलाक़ाते
जिन्हे याद करके अब मैं जीती हूँ
तुम्हारे ख़यालो के संग ही मरती हूँ
गर लगे मेरा प्यार सच्चा हैं 
लौट कर तुम आना
या संग मुझको भी ले जाना
मुझे इंतेज़ार हैं अब तक
की तुमसे प्यार हैं अब तक

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