तुम्हे पता हैं मेरे इर्द गिर्द
वाकये घूमा करते हैं
कभी रिक्शेवाले के रूप मे,
कभी दूधवाले के रूप मे
कभी मज़बूरी के रूप मे
कभी एक्सीडेंट के रूप मे
ये सब यहीं.... मेरे आस पास
अभी कल की ही बात हैं
एक बच्चे के पास बैठी थी
होगा यही कोई 7-8 साल का,
क्लास टू मे पढ़ता था
बेचारा होम वर्क से घबरा रहा था
पढ़ाई को बोझ बता रहा था
नन्ही सी जान बेचारा रोता जा रहा था,
साथ ही साथ होम वर्क निपटा रहा था .....
बहुत तरस आया लेकिन कैसे रोकती?
वो ही तो हमारा भविष्य हैं
बहुत समझाया बताया
तुम्हे वैज्ञानिक बनना हैं..
देश को आगे बढ़ाना हैं.........
वो बोला आंटी आप क्यूँ
नही बनी वैज्ञानिक??
अब क्या बताती,
घर मे साधन सीमित था
पिता के पास और भी ज़िम्मेदारी थी,
कैसे बनाते वो मुझे वैज्ञानिक??
कभी कभी बच्चे अपने भोले प्रश्नो से
हमे हिला सा देते हैं..अंजाने मे वो
हमारे भीतर की कमजोर नसो को
दबा दिया करते हैं, उन बेचारो को क्या पता
अपनी इच्छा को कितना दबाना पड़ता हैं
ना हो पैसे तो पेट दबा कर सोना पड़ता हैं
खैर ऐसी नौबत तो कभी नही आई
लेकिन फिर भी इच्छा होते हुए भी
पैसो के कारण डॉक्टर नही बन पाई
ये दुख हमेशा सालता रहेगा
ऐसे ही ना जाने कितने वाकये हैं
जो जेहन मे घूमा करते हैं
कभी फ़ुर्सत से बताएँगे
आज के लिए इतना ही काफ़ी हैं
1 Comments:
:(
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