मुझे नहीं पता...
तुम्हें अपने में जीते हुए...
मैं इतना मरता क्यूं रहा....
तुम मर नही रहे थे
मुझे जी रहे थे......
मैं जो समा गई थी
तुम्हारे भीतर........
तुम्हारा अंश बनकर
कभी निकाल ही ना सके
तुम उस अंश को
बहुत बार चाहा,
कोशिश भी की,
औरो ने भी भरमाया
लेकिन मैं तुम्हारे भीतर
ऐसी ओतप्रोत हो चुकी थी
कहीं से कोई गुंजाइश ही ना थी
ऐसे मे तुम्हारा मरना लाजिमी था
क्यूंकी मैं जिंदा थी......................
यही कारण था मेरे मरने का शायद
की तू हमेशा करती रही मुझमे समाने की कवायद
और जब समा गयी तुम मुझमे मेरा ही अंश बनकर
तो कचोट ती रही तुम्हारा एक अभिशप्त दंश बनकर
ना कहो ऐसा मेरा प्यार कोई दंश नही....
तुम्हारा दिल दुखे ऐसा मेरा कोई यत्न नही...
तुम रहो मुझमे ही प्यार बनकर.....
नही सता सकती तुम्हे....शस्त्र बनकर
गर नही था तुम्हारा प्यार एक दंश
तो क्यू आया मेरे जीवन में ऐसा विध्वंस
की बिखर गया है मेरा एक एक अंश अंश
मेरा प्यार और तुम्हारा विध्वंश
कैसी बात करते हो...
मैने तो मर कर भी तुम्हे प्यार किया
तुम्हारे हर वादे पे ऐतबार किया
तुम्हारा बिखरा अंश मैं समेट लूँगी...
तुमको दुनिया मे कहीं नही खोने दूँगी..
कौन मारना चाहता है जवाबो से सवाल
यहा तो सिर्फ़ चुप रहने से उठ रहा है इतना बवाल
के खुद बनकर रह गया हू मैं एक सवाल
क्यूँ बन गये तुम सवाल...
अपने आप से पूछो...
क्यूँ नही जताया तुमने रोष
जब मचाया सब ने बवाल..
तुम मुझे दुनिया में खोने नही डोगी
असल में तुम अब मुझे चैन से रोने भी ना दोगि
एक पल की आराम तालबी या सोने भी ना दोगि
हमेशा जताओगि ये एहसान
की मेरा 2 पैसे का प्यार तुमने क़ुबूल किया था
मुझ जैसे को अपना कर एक भूल किया त
अपने प्यार को कम क्यूँ आंकते हो...
प्यार को पैसे के तराजू से क्यूँ नापते हो...
गर मेरा प्यार तुम्हे परेशान करता हैं..
तो मैं यू भी जी लूगी
नही करूँ गी तुम्हे तंग...अपने मे रह लूगी
नही किया मैने तुमपे कोई एहसान...
तुम्हारे प्यार को सलाम...मेरे मेहरबान..
- 1 share
- Khan Aameen wow......... mai jo sama gayi thi tumhare bhitar, muzko ji rahe the... wonderful idea.December 14 at 11:53am · · 1
- Madan Soni (व्यंग) अब मुझसे और सवाल न होंगे ........ इतने बड़े(बढ़िया ) जवाब ..!!!!!!December 14 at 12:11pm · · 1
- yahi kaaran tha mere marne ka shaayad
Ki tu hamesha karti rahi mujhme samaane ki kavaayad
Aur jab samaa gayi tum mujhme mera hi ansh bankar
To kachot ti rahi taaumra ek abhishapt dansh bankarDecember 14 at 12:15pm · · 2 - Aparna Khare ना कहो ऐसा मेरा प्यार कोई दंश नही....
तुम्हारा दिल दुखे ऐसा मेरा कोई यत्न नही...
तुम रहो मुझमे ही प्यार बनकर.....
नही सता सकती तुम्हे....शस्त्र बनकरDecember 14 at 12:18pm · · 3 - gar nahi tha tumhaara pyaar ek dansh
To kyu aaya mere jeevan mein aisa vidhvans
Ki bikhar gya hai mera ek ek ansh anshDecember 14 at 12:21pm · · 2 - Aparna Khare मेरा प्यार और तुम्हारा विध्वंश
कैसी बात करते हो...
मैने तो मर कर भी तुम्हे प्यार किया
तुम्हारे हर वादे पे ऐतबार किया
तुम्हारा बिखरा अंश मैं समेट लूँगी...
तुमको दुनिया मे कहीं नही खोने दूँगी..December 14 at 12:25pm · · 2 - kaun maarna chahta hai jawaabo se sawaal
Yaha to sirf chup rehne se uth raha hai itna bawaal
Ke khud bankar reh gaya hu main ek sawaalDecember 14 at 12:27pm · · 1 - Aparna Khare अपने प्यार को कम क्यूँ आंकते हो...
प्यार को पैसे के तराजू से क्यूँ नापते हो...
गर मेरा प्यार तुम्हे परेशान करता हैं..
तो मैं यू भी जी लूगी
नही करूँ गी तुम्हे तंग...अपने मे रह लूगी
नही किया मैने तुमपे कोई एहसान...
तुम्हारे प्यार को सलाम...मेरे मेहरबान..December 14 at 12:39pm · · 2 - Aparna Khare क्यूँ बन गये तुम सवाल...
अपने आप से पूछो...
क्यूँ नही जताया तुमने रोष
जब मचाया सब ने बवाल..December 14 at 12:41pm · · 2 - जवाब तुम्हारे अब बेमानी हैं
हम अपने जिस्म में बाकी न रहेDecember 14 at 12:49pm · · 3 - Naresh Matia samjh nahi aaya yeh pyar hai ya dwesh..agar yeh ..dwesh hain to...us bhavna ko dikhati achchi rachna hain..kyoki...kisi ka marna jaroori hai kisi aur ke jeene ke liye....badle ki bhavna...hamesha rahi...aur haar-jeet bahut mahatvpurn honge yeha...jo yehaa najar aa rahe hain...kyoki....yeh kahaa gayaa...
लेकिन मैं तुम्हारे भीतर
ऐसी ओतप्रोत हो चुकी थी
कहीं से कोई गुंजाइश ही ना थी
ऐसे मे तुम्हारा मरना लाजिमी था
क्यूंकी मैं जिंदा थी..............to beshaq otprot ho chuki ho....par isme pyar kahi nahi hain.sirf dwesh hain ...sirf dusre ki soch ko apne hisaab se sochna aur fir react karna.....yehi hain yeh rachna.....December 14 at 1:14pm · · 2 - haa bahut pareshaan hu tumse
Chhodna chaahta hu tumhe
Per ab itni aadat si ho gayi hai tumhaari
Ki bin tumhaare ab jiya bhi nahi jaata
Jaane kaun se kaale jaadu ka mantar maara hai tumne
Laakh koshisho k baavjood ab koi aur nahi bhaata
Pila diya koi jaam tumne dhali hui shaam bankar
Jis se padha rahunga tumhaare kadmo mein tumhaara gulaam bankarDecember 14 at 1:15pm · - Anju Sharma कहीं से कोई गुंजाइश ही ना थी
ऐसे मे तुम्हारा मरना लाजिमी था
क्यूंकी मैं जिंदा थी......................December 14 at 1:20pm · · 1 - Aparna Khare ap ne sahi kaha naresh ji....apne pyar pe bharosa hain...samne wala kya karta hain ..ye wo jane...December 14 at 1:21pm ·
- Shamim Farooqui Waah khubsurat ehsaas..tum mar nahi'n rahe the mujhe ji rahe the...khush raho Aparna KhareDecember 14 at 1:26pm · · 1
- Aparna Khare ना ना ऐसा ना कहो....
चलो मिलकर चलते हैं
कोई शिकवा ना शिकायत किया करते हैं
कुछ कदम तुम बढ़ो...कुछ हम बढ़ते हैंDecember 14 at 1:51pm · · 1 - Kiran Arya Waaaaaaaah kuch na kahkar bhi sab kuch vyaan karti sunder rachna......badhai........
.:)) December 14 at 3:10pm · · 1 - Kiran Arya bas yaar mast hai sab, office me hun jab bhi samay milta hai aa jaati hun tum sabke beech, ab tumhe chod aakhir jaana kaha hai maine,...........hehheDecember 14 at 3:12pm · · 1
- Kiran Arya jaanti hun tum dhuri ho meri aye dost ghumkar tumhari hi rahgujar me aana hai mujhe........:))December 14 at 3:14pm · · 1
- Om Prakash Nautiyal *
"तुम मर नही रहे थे
मुझे जी रहे थे......
मैं जो समा गई थी
तुम्हारे भीतर........"
लाजवाब जवाब !!बहुत सुन्दर !!!
*December 14 at 3:23pm · · 1 - Aparna Khare hmm....acchi line thi na isliye.......waise bhi apne to mujhe gift di thi...December 14 at 4:21pm ·
- well i appreciate u because itni der tak koi mere saath live poetry kar nahi paayaDecember 14 at 4:24pm · · 1
- Aparna Khare mere kai dost aise hain jo....mere sath live poetry hi karte hain....really bahut maza ata hain...December 14 at 4:29pm · · 2
- Alam Khursheed लेकिन मैं तुम्हारे भीतर
ऐसी ओतप्रोत हो चुकी थी
कहीं से कोई गुंजाइश ही ना थी
ऐसे मे तुम्हारा मरना लाजिमी था
क्यूंकी मैं जिंदा थी....................Waaaaaaaah! December 14 at 8:27pm · · 1 - Vishaal Charchchit WAAH - WAAH - WAAH TEACHER JI "TUM" KA SUPER HIT SILSILA......IS BAHUT HI KHOOBSURAT MOD PAR AA PAHUNCHA......VERY GOOD !!!!December 14 at 9:50pm · · 3
- Aapka sawal bhi bilkul sahi hai aur jawab bhi sahi hai.110/100December 14 at 10:05pm · · 1
- Ashvani Sharma बहुत नाज़ुक से सवाल का ........तुर्शी ब तुर्शी जवाब .........बस वाहDecember 15 at 12:25am · · 3
- Poonam Matia तुम मर नही रहे थे
मुझे जी रहे थे......
मैं जो समा गई थी
तुम्हारे भीतर........
तुम्हारा अंश बनकर// bahut khoobsurat panktiyaan Aparna .........jab ham kisi ke pyaar mei hote hain ........to do jism ek jaa kahlaaate hain .........par ek ke jeene ke liye doosre ka marna kyun laazmi hai .........ye meri smajh se baahar hai .........koi pratispardha to nahi ....pyaar hai ........fir kyunDecember 15 at 1:31am · · 1 - Reena Dubey tumhara marna lazimi tha kyonki mai jinda thi.... kitni goodh baat ...bahut umda aparna ji..December 15 at 6:06pm · · 1
- Akhilesh Sharma ये इश्क है ...कोई खेल नहीं....अगर मैं हूँ इसमें...तो तू नहीं....इश्क है ही तब...जब मैं ख़त्म हो जाऊं.....सिर्फ तू ही रहे........इसीलिए... मुहब्बत..और खुदा...की इबादत में....ज्यादा.. फर्क नहीं होता..........बहुत बहुत बधाई......अपर्णा खरे जी.......साफ़-साफ़ कह डाला.....आपने....सब-कुछ...
....! December 15 at 8:40pm · · 2
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