Thursday, December 8, 2011

धरती लाल, आकाश स्‍लेटी, वृक्ष पीले...नीले रंग के घेरे में काला वंशीधर...
लो रंग आ गया जीवन में...तुमने ही तो कहा था जीवन हमेशा श्‍वेत-श्‍याम नहीं होता...
धरती हैं लाल यानी प्यार का रंग बिखेरा हैं जग मे
अम्बेर हैं स्लेटी यानी शांति की बात छिपी हैं इसमे
वृक्ष हैं पीले यानी लोग काट रहे हैं इन्हे 
इनकी रगो का खून डर से पीला हो गया हैं
नीले रंग के घेरे मे क़ाला वंशीधर यानी
यानी ग़लती करने पे नही बचाए तुम्हे कोई कृष्ण
जाना ही होगा काल के गाल मे.............
ये जीवन मे रंग नही आया हैं बल्कि हमे अपने आईना दिखलाया हैं
अब भी वक़्त हैं सुधार जाओ.....वरना....स्वेत स्याम वस्त्रो मे लिपट 
दुनिया से जाना पड़ेगा....यू ही सबसे अपना मुख छिपाना पड़ेगा....

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