मैं तो सपना देख रही थी....
कहानी को विस्तार देते है
उसे फिर से नया आकार देते हैं
जब देखा खड़े हैं हमारे सनम
मेरी खुशी का तो परवार ना रहा
और उन्हे भी इस अचानक खुशी का
एतबार ना हुआ..........
उन्होने दौड़ कर मुझे गले लगाया
ख़ैरियत पूछी...अपना हाल सुनाया
बाते करते करते रात निकल गईं
आँख खोल के देखा तो सुबह हो गई....
ये क्या मैं तो सपना देख रही थी....
वो भी कितना सुहाना.............
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