अब ख़ुशगवार मौसम मे इतनी खीझ
अच्छी नही लगती...पास होकर इतनी बेरूख़ी
अच्छी नही लगती..देखो ना बुलाने मे भी
कितना आमंत्रण छिपा हैं इसलिए जहाँ भी हो
उठो और चले आओ.........
ना लगाओ अब हिसाब किताब...................
मौसम का तक़ाज़ा समझो....अब ना तड़पाव.....
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