जख़्मो को हवा मत देना
मेरी मानो तो उन्हे दवा देना
वरना बहुत बढ़ जाएँगे
तुम्हारे लफ़्ज भी तब काम नही आएँगे
मातम छोड़ो हँसो अब
मिलने की रात आई हैं...
इंसान की खुश्बू रहती हैं इंसान बदलते रहते हैं
दरबार लगा रहता हैं यहाँ, दरबारी बदलते रहते हैं.....
काग़ज़ की नाव
कहाँ तक जाती?
उसे तो फसना ही था
था विश्वास से बना सब कुछ
नही किया था उसने कोई अपराध
कभी कभी किस्मत भी नही देती साथ
तब होता हैं ऐसा
हर काग़ज़ की नाव के साथ!!!
संभाल के मेरे दोस्त कहीं खो ना जाना
ये बंदा कुछ खास है तुम्हारा दीवाना
मेरी मानो तो उन्हे दवा देना
वरना बहुत बढ़ जाएँगे
तुम्हारे लफ़्ज भी तब काम नही आएँगे
मातम छोड़ो हँसो अब
मिलने की रात आई हैं...
इंसान की खुश्बू रहती हैं इंसान बदलते रहते हैं
दरबार लगा रहता हैं यहाँ, दरबारी बदलते रहते हैं.....
काग़ज़ की नाव
कहाँ तक जाती?
उसे तो फसना ही था
था विश्वास से बना सब कुछ
नही किया था उसने कोई अपराध
कभी कभी किस्मत भी नही देती साथ
तब होता हैं ऐसा
हर काग़ज़ की नाव के साथ!!!
संभाल के मेरे दोस्त कहीं खो ना जाना
ये बंदा कुछ खास है तुम्हारा दीवाना
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