तुम्हारी हर अदा हमे भाती हैं.............
तुम्हारी हर हरकत हमे दूर से दिख जाती हैं..
गर हो औकात फ्लॅट खरीदने की तो भी
खरीद के क्या करेंगे?
चलते समय सारे फ्लॅट यही पड़े रहेंगे............
किए हैं पाप उम्र भर ना जाने कैसे जीते हैं
मरघट मे रहकर ना जाने कैसे सुकून से सोते हैं..
पगली बारिश पगली लड़की की तरह थी
जो देखती रही बात जाने वाले की आस
बहती रही आँसू रात भर, घूमती रही उदास
जिसे ना आना था ना वो आया..........
लगी रही मन मे अजीब सी आस.....
तब भी बेचारे आँखे मीचे सदियो तक पड़े रहते हैं
कभी तुमने कहा होता, कभी मैने सुना होता
किस्सा प्यार का था दोनो ने रहा होता
मज़बूर थे तुम मज़बूर थी मैं
कैसे प्यार का सावन बिना बादल बहा होगा..
हर अदा लाजवाब देखी हैं
गर्दिशो का जवाब देखी हैं
मत निकला करो चाँदनी मे नहा कर
मैने धुलती हुई शबाब देखी हैं!!!!!!!!!
आज ही बीजें हैं, मैने,
मन, आँगन की क्यारी में,
बस आज ही बीजे हैं......जो कुछ दिन बाद निकल आएँगे...देंगे सबको खुशी..हरे भरे लहल़हाएँगे..
पिघल गया आस्मा...ना रही ज़मीन अपनी...
बचे बाहों के घेरे......ना रही मैं अपनी...
क्या करता मैं भी जब तुम ना मिलती ए जाने जा...
गुज़र रही थी जिंदगी जैसे हो कोई तन्हा
लगा दी हैं आग जिंदगी मे...............
भस्म मुझे कर डाला.....हुलाला हुलाला
वक़्त वक़्त की बात हैं....जो आज अपना हैं....कल किसी और का होता हैं...
किनारे लगाने वाला मझधार मे नही ले जाता
चंचल मॅन हमारा कभी रुकने नही पाता
तुम्हारी हर हरकत हमे दूर से दिख जाती हैं..
गर हो औकात फ्लॅट खरीदने की तो भी
खरीद के क्या करेंगे?
चलते समय सारे फ्लॅट यही पड़े रहेंगे............
किए हैं पाप उम्र भर ना जाने कैसे जीते हैं
मरघट मे रहकर ना जाने कैसे सुकून से सोते हैं..
पगली बारिश पगली लड़की की तरह थी
जो देखती रही बात जाने वाले की आस
बहती रही आँसू रात भर, घूमती रही उदास
जिसे ना आना था ना वो आया..........
लगी रही मन मे अजीब सी आस.....
तब भी बेचारे आँखे मीचे सदियो तक पड़े रहते हैं
कभी तुमने कहा होता, कभी मैने सुना होता
किस्सा प्यार का था दोनो ने रहा होता
मज़बूर थे तुम मज़बूर थी मैं
कैसे प्यार का सावन बिना बादल बहा होगा..
हर अदा लाजवाब देखी हैं
गर्दिशो का जवाब देखी हैं
मत निकला करो चाँदनी मे नहा कर
मैने धुलती हुई शबाब देखी हैं!!!!!!!!!
आज ही बीजें हैं, मैने,
मन, आँगन की क्यारी में,
बस आज ही बीजे हैं......जो कुछ दिन बाद निकल आएँगे...देंगे सबको खुशी..हरे भरे लहल़हाएँगे..
पिघल गया आस्मा...ना रही ज़मीन अपनी...
बचे बाहों के घेरे......ना रही मैं अपनी...
क्या करता मैं भी जब तुम ना मिलती ए जाने जा...
गुज़र रही थी जिंदगी जैसे हो कोई तन्हा
लगा दी हैं आग जिंदगी मे...............
भस्म मुझे कर डाला.....हुलाला हुलाला
वक़्त वक़्त की बात हैं....जो आज अपना हैं....कल किसी और का होता हैं...
किनारे लगाने वाला मझधार मे नही ले जाता
चंचल मॅन हमारा कभी रुकने नही पाता
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