दस्तक
मेरे जिस्म मे कोई नन्ही कली कनमुनाई हैं,
मीठी सी हुई हलचल,
कहीं से आवाज़ आई हैं
जैसे फूट रही हो नन्ही कोपल,
कुछ ऐसी सदा आई है..
शायद पल रहा हैं मेरे भीतर,
मेरे ही जिस्म का टुकड़ा
या फिर प्यार की फ़िज़ा लहराई हैं ........
खुशी के मारे मुझे ...............
कई रातों तक नींद ही ना आई हैं
फिर लौटेगा हमारा बचपन
कानों मे किसी ने ये बात बताई हैं...
(दोस्तो मेरी कज़िन ने मुझे खुशख़बरी सुनाई और मेरे भीतर से प्यार का झरना बह निकला)
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