अब करोगे गुस्सा क्या?
क्यूँ करते हो इतना गुस्सा
कुछ देख ही नही पाते ठीक से
यहाँ तक की मुझे भी नही..
मेरे चेहरे के डरे हुए भाव भी नही
सच तुम्हे गुस्से मे देख अंदर से
काँप जाती हूँ..क्या कहूँ डरे के मारे
कुछ कह भी नही पाती हूँ..........
जब कर लेते हो अपना नुकसान
तब भी नही पछताते हो..
और जब उतरता हैं गुस्सा
ठंडे पानी के जैसे निर्मल शांत हो जाते हो
कुछ भी नही रहता याद...
जो पीछे छोड़ आते हो.....
मत किया करो ऐसा
मेरी जान निकल जाती हैं
किसी दिन सच मे निकल गई तो..........
बहुत पछताओगे..कैसे रहोगे हमारे बिना
कुछ बताओगे....प्लीज़ बोलो ना....
मेरी तरफ़ देख कर ...........
अब करोगे गुस्सा क्या?
4 Comments:
वाह...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
bahut bahut abhaar uncle..
जान निकल जाने कि बात कहकर डरा दिया है आपने..
अब तो गुस्सा करने हा सवाल हि नही...
बेहतरीन रचना....
thanks Reena ji....chalo mera likhna sarthak ho gaya...
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