श्री राकेश मुथा जी की कविता से प्रेरित
रुनझुन मे जो गीत समाया
घर मे जो संगीत समाया
दिल मे उसके होने का जो
आभास हैं आया......
सिर्फ़ छत, फर्श मकान नही
हर शै मे मौजूद........उसे हैं पाया
चाहे कैसा मौसम आया..
दुख का हो बादल छाया
हर जगह मैने उसे पाया
हर जगह...बन कर आया वो मेरा साया..
बस साथ हूँ...तभी आबाद हूँ..उसे याद हूँ...
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