एक कसम की खातिर
बहन भाई के प्यार मे
भाभी कहाँ मायने रखती हैं
भाई दे कसम अगर तो
भाभी कहाँ तुडवा सकती हैं...
यही तो होता हैं प्यार
जनम का, तुम दोनो मे
उसे दूसरे परिवार से आई
भाभी कहाँ पा सकती हैं....
पहले देते हो इतना प्यार, आशीर्वाद, हाथो मे लेते हो हाथ
फिर एक कसम की खातिर
छुड़ा चल देते हो.........
कैसे इतने प्यार से
सारे रिस्ते निभा लेते हो.....
आ रहे हैं आँसू, इस से ज़्यादा कुछ ना कह पाउगी..
तुम्हारे भैया से भी शायद अब
उस तरह ना बतिया पाउगी..
माफ़ करना दी गैर हूँ ना....कितना भी कर लू..तुमको कहाँ पा पाउगी ..
तुम अपने भैया की प्यारी बहन जो ठहरी........और मैं बाहर से आई नारी........
3 Comments:
This comment has been removed by the author.
ये गलत सोच हैं .......हर लड़की बहन हैं ...तो वो किसी की भाभी भी हैं ...और जो भाभी हैं ...वो बहन भी तो हैं ...हिसाब बराबर ..........सादर
ha hain to but kabhi kabhi bahan bandh ke reh jati hain bhai ki kasam se
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home