इनायत भी करती हैं इज़्ज़त भी करती हैं
गौर से देखे तो तुमसे ही मोहब्बत भी करती हैं
जुदा अंदाज़ हैं उसका..वो सीने मे रखती हैं
उसे बस दिखा नही सकती...
तुम्हे देख कर हो जाती हैं संजीदा
तुम कहते हो शरारत क्यूँ नही करती..
रहते हो उसकी हर गुफ्तगू का हासिल तुम
यही कारण हैं की फूलो को न्योछावर तुम पे नही करती—
गौर से देखे तो तुमसे ही मोहब्बत भी करती हैं
जुदा अंदाज़ हैं उसका..वो सीने मे रखती हैं
उसे बस दिखा नही सकती...
तुम्हे देख कर हो जाती हैं संजीदा
तुम कहते हो शरारत क्यूँ नही करती..
रहते हो उसकी हर गुफ्तगू का हासिल तुम
यही कारण हैं की फूलो को न्योछावर तुम पे नही करती—
2 Comments:
बहुत उम्दा!
शेअर करने के लिए आभार!
thanks to apka sir ji..
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