मरघट के इस डोम की कौन सुने फरियाद
सबको रहना अपने घर में..बिना अलाव के
बेचारा .................
अकेला वही बिताये पूस की सर्द रात..
जीना अकेले ...मरना अकेले....
कैसा उसका जीवन हैं ?
करते हैं सब नफरत उस से ,
बेचारे की क्या गलती हैं ?
वो तो करता अपना काम,
वो तो करता अपना काम,
नहीं करता कभी हमारी तरह आराम
क्यूंकि मौत कभी नहीं लेती विश्राम ....
क्यूंकि मौत कभी नहीं लेती विश्राम ....
.सर्दी गर्मी...धूप हो या बरसात..
चिताएँ जलती रहती दिन रात,
चिताएँ जलती रहती दिन रात,
कभी कभी तो ढेर सारा काम आ पड़ता
जब सारा शहर किसी अनजानी
जब सारा शहर किसी अनजानी
मुसीबत में जा फसता..
कभी बाढ़, कभी अंधी.. कभी सुनामी..
कभी बाढ़, कभी अंधी.. कभी सुनामी..
कर देते उसका चैन हराम
फिर भी नहीं थकता वो...
फिर भी नहीं थकता वो...
नहीं करता शिकायत किसी से..
मिला विरासत में उसे जो हैं डोम का नाम.
मिला विरासत में उसे जो हैं डोम का नाम.
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