तुमसे जुदा नहीं हैं मेरा वजूद
तुम बस गए हो..मेरी साँसों में खूब
अलग होने की मैं सोच भी नहीं सकती
ढूंढती हूँ तुम्हे अपने गर
अपने को ही ग़ुम पाती हूँ..
तुम बस गए हो..मेरी साँसों में खूब
अलग होने की मैं सोच भी नहीं सकती
ढूंढती हूँ तुम्हे अपने गर
अपने को ही ग़ुम पाती हूँ..
जीवित हो उठते हो तुम मेरे भीतर..
खुद को भूल जाती हूँ..
क्या हैं ये...जब करती हूँ समझने की कोशिश.
हज़ार तरकीबे लड़ने पे भी नहीं
समझ पाती हूँ मैं..
मान लेती हूँ इसे खुदा की नियामत तब.
और मन ही मन इतराती हूँ.. ..
(या खुदा मदद कर )
खुद को भूल जाती हूँ..
क्या हैं ये...जब करती हूँ समझने की कोशिश.
हज़ार तरकीबे लड़ने पे भी नहीं
समझ पाती हूँ मैं..
मान लेती हूँ इसे खुदा की नियामत तब.
और मन ही मन इतराती हूँ.. ..
(या खुदा मदद कर )
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