कापती लौ, कापते हाथ और तुम्हारा साथ
तुमने जब जलाया ही कापते हाथो से
उसके साथ कुछ ऐसा ही होना थाकहते हैं जैसा होता हैं बीज उसका फल भीबिलकुल वैसा ही होता हैंप्यार से भी कापते हैं दिएकुछ ऐसा भी होता हैंजब कोई मिलता हैं जन्मो बादफिर भी सब ठहरा रहता हैंयहीं हैं सच्चा प्यारयहाँ बरसो बाद भी सब नया लगता हैंनहीं होते शिकवे गिले आपस मेंप्यार जो व्यस्क हुआ करता हैंमाफ कर देते हैं एक दुसरे की गलतियाजब आपस में मिलन हुआ करता हैं।।
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