खुद से प्यार
हम अपने आप से करते हैं इतनी मोहब्बत
की बतला नही सकते हैं..........................
जब से लिया हैं जनम, ना जाने कितना साबुन,
तेल, मंजन, क्रीम, पाउडर अपने उपर लगा डाला हैं
कभी नही रखा हिसाब, खुद को सजा डाला हैं...
दिखने मे लगु खूबसूरत जाने कितने कपड़े सिलवाए हैं
स्वेटर से भर गई हैं हमारी वॉर्ड रोब..................
सारे कपड़े ज़मीन पे पड़े भी नज़र आए हैं....
अगर कभी किया होता किसी और को इतना प्यार तो
बेचारा वो आजीवन रहता एहसानमंद...
गाता हमारे गुणगान.......... .जीते जी अमर हम हो जाते.......
कम से कम उसके दिल मे हमेशा जगह पाते...
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