तुम्हारी एक चाल ने सब खेल तमाम कर दिया..
आ गये सब लोग
भर गया मेरा घर
हो गया उत्सव....
जब मिले हम सब..
तुम्हारी एक चाल ने सब खेल तमाम कर दिया..
चलनी थी कोई और चाल...तुमने नाकाम कर दिया...
चलाया ऐसा नैनो का तीर....घायल सरे आम कर दिया..
तुम अकेले नही हो...यादे साथ हैं...
तुम क्यूँ सोचते हो इतना..........
वो अब भी तुम्हारे साथ हैं...
मीठी यादे तो हैं ..वरना जिंदगी का स्वाद कितना कसैला होता.
इलाज़ होता हर पोर का..गर तुम साथ होते...
नही थे तुम हमारे पास हम इलाज़ करके भी क्या करते???
तुमने धारा विष कंठ मे...
तुम कितनी महान हो..
उडेल देती जो दुनिया मे..
दुनिया का क्या होता..???
वो कुछ तो कर रहे थे..
इश्क़ ही सही.........
जिंदगी का खूबसूरत तज़ुर्बा
हासिल कर रहे थे..
एक एक अक्षर से बनता हैं शब्द
शब्दो से वाक्य बना करते हैं...
और उन्ही वाकयो को बोल बोल कर हम
इश्क़ किया करते हैं..तो शब्दो को दुख कैसा?
देखो भैया हम सब बिगड़ गये...
दाल रोटी छोड़ कर पास्ते पे मर गये..
वो घुमा के देते हैं
आप घूम के ले लो..
सौदा हैं प्यार का..
यू ही कर लो..
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home