तुम्हारी तकिया
तुम्हारी तकिया को खोला मैने...
आँसू की नदिया निकल पड़ी...
मैने रोका उन्हे तो तुम्हारे पास
जाने को मचल उठी............
मैने बोला दर्द मुझे दे दो..
आँसू की नमी को भी
दोस्त की सौगात समझ
सर माथे पे लगा लूँगी
लेकिन वो खुद्दार थी तुम्हारी तरह
नही मानी..और छिटक कर चली गई..
फिर से तुम्हारे पास ....कभी ना आने के लिए
2 Comments:
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bahut sunder....mat ho udas..
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