Saturday, October 27, 2012



तेरी दीद हैं तो मेरी ईद हैं..
कुछ इसतरह की मेरी प्रीत हैं
पता पूछते हैं सब तेरा......
मैने कहा उनसे दूर रहना
अब नही कोई रीत हैं
तू करीब हैं तो मेरी ईद हैं..

मेरा प्यार मेरी दोस्ती
तुम्हे याद हैं.........
चलो अच्छा हुआ.....
तेरी याद से ही हम आबाद हैं

जमाने ने हमको जुदा किया...
मेरे फसाने ने हमको मिला दिया
जमाना हार गय.. मोहब्बत जीत गई..

तुम जाना ना हमे छोड़ कर
हम कहाँ फिर जाएँगे........
तुम्हारी बाह छूट गई तो.....
दुनिया के मेले मे बिछड़ जाएँगे

छोड़ के सारी दुनिया आए जो तेरे पास
तू बोला अब नही रही तू मेरे लिए खास

मेरी हँसी.........जैसे पायल की रुनझुन
मेरे गम जैसे...पहाड़ से ज़्यादा भारी....
क्यूँ घबराते हो....मैं सह लूँगी..दुनियादारी सारी..

तेरे लफ़्ज से होती हैं मेरी पहचान....
तूने दिया जो मुझे इतना सम्मान

मेरा नाम तो लिखा हैं तेरे दिल पे...
कलम तो बस लिखती हैं..

2 Comments:

At October 29, 2012 at 8:13 AM , Anonymous Anonymous said...

This comment has been removed by the author.

 
At October 31, 2012 at 3:50 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks

 

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