Wednesday, December 5, 2012




माटी से जुड़े हो..माटी को क्यूँ भूलते हो..
मिल जाना हैं माटी मे...क्यूँ गुरूर करते हो..

मेरी आँखो से जो देखे खवाब....
सच बन कर ना उतर आए...
बन जाए तेरी मुश्किलो का सबब..
तेरी जान पे ना बन आए..

तेरे कदम मेरे कदम..मिल गये तो हो नई दिशा का निर्धारण..
चले कुछ इसतरह साथ...दो जिस्म मगर एक जान हो जैसे..

प्यार मे सारे वार जैसे हो तीज त्योहार
लगे सब कुछ नया सा...जैसे आँखो मे सपना हो सजा सा..




0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home