आज भी सब पहले जैसा हैं...
जो मोड़ा पहला पन्ना
सोचा बाद मे पढ़ेंगे..
अभी हैं सब लोग बैठे
देख लिया तो क्या कहेंगे..
तुम हो की दिल पे ले बैठी..
नाराज़ हो गई मुझसे
ना जाने क्या क्या सोच बैठी..
तुम्हारा सोचना भी जायज़ हैं..
नही हैं कुछ दिनो से
हमारे बीच कोई वार्तालाप..
मन मे शंका आना ठीक ही हैं..
मत सोचो कुछ भी उल्टा पुल्टा
आज भी सब वैसा का वैसा हैं.
नही बदला हूँ मैं...आज भी सब पहले जैसा हैं...
कुछ तो समझे मज़बूर था बेचारा
आप तो प्यार मे भी सख़्त लगते हो..
नही देते हो माफी..ना जाने कितनी सज़ा
सोच के रखते हो...
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