Thursday, March 7, 2013

तुम्हे भी हम पे शायद कुछ तरस आया हैं..

जब तक महक
रहे थे हमारे केश
तुम क्यूँ नही 
आए हमारे देश
आज जब सफेद हुए..तो
हमारा ख़याल आया हैं.....
क्या इनमे फिर तुम्हे...वही
पुराना प्यार नज़र आया हैं
अब तो हमारा प्रेम भी 
मुरझाने को आया हैं...
दुआ कर रहे हैं 
तुम्हारे आने की..
तुम्हे भी हम पे शायद 
कुछ तरस आया हैं..





10 Comments:

At March 7, 2013 at 2:46 AM , Blogger कालीपद "प्रसाद" said...

This comment has been removed by the author.

 
At March 7, 2013 at 2:48 AM , Blogger कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत खूब अपर्णा जी!
आप भी मेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी!
latest postअहम् का गुलाम (भाग एक )
latest post होली

 
At March 7, 2013 at 5:04 AM , Blogger Unknown said...


तिरस्कार के बाद जब कोई प्रेम की दृष्टि डाले तो संदेह उठना लाज़मी है ...सुंदर
एक नजर इधर भी डालेगीं .मेरे ब्लॉग (स्याही के बूटे) पर ..आपका स्वागत है
http://shikhagupta83.blogspot.in/

 
At March 7, 2013 at 11:28 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

Shukriya Tushaar ji..

 
At March 7, 2013 at 11:29 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

Jaroor..ye tom hamara aho bhagy hoga....Kalipad ji..

 
At March 7, 2013 at 11:30 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

sach kaha apne...Shikha ji...Apka blog hamara bhi blog hain avashy aaungi...

 
At March 7, 2013 at 11:30 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

Shukriya Sada....................tumhari sada ka sadaiv sawagat hain...

 
At March 7, 2013 at 11:38 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

Tushaar Ji mujhe to nahi dikh rahi apni ye kavita apke blog pe...ha pehli wali hi show ho rahi hain..

 
At March 8, 2013 at 1:10 AM , Blogger HARSHVARDHAN said...

सुन्दर रचना। आभार :)

नये लेख :- समाचार : दो सौ साल पुरानी किताब और मनहूस आईना।
एक नया ब्लॉग एग्रीगेटर (संकलक) : ब्लॉगवार्ता।

 
At March 8, 2013 at 2:56 AM , Blogger अपर्णा खरे said...

apka bahut bahut shukriya Harshvardhan ji...

 

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