Monday, March 4, 2013

इस्त्री हो या स्त्री दोनो से संभलना





कैसे करते हो ये सब???
मुझे मार कर जिंदा रह लेते हो..
कहते हो हरदम अपना लेकिन..
बातों से अधमरा कर देते हो..

अबकी गये तो मुलाकात ना होगी..
उम्र हैं कम मेरी...शायद कभी बात ना होगी

दर्द को जगह क्यूँ दी..
एक अंजान से दोस्ती गर ली..

स्त्री चाहे ठंडी हो या गरम
कमाल करती हैं...जला देती हैं 
अपने उसूलो से..
जब अपने पे अड़ती हैं..
मत टकराना स्त्री से.....
ये वो आग हैं जो 
बिना पेट्रोल ही भभकति हैं..

पेट्रोल की मार से हम सब रहे हैं मर
रोज़ बढ़ा कर दाम ये देते सीधे हमे जहर

आँसू देकर चले जाते हो
कुछ खुशियो से दिल बहलाते हो
कौन सा अंदाज़ हैं ये तुम्हारा..

इस्त्री हो या स्त्री दोनो से संभलना
ज़्यादा गरम हो तो जला देती हैं...

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