इस शहर का रिवाज़ ही कुछ ऐसा हैं.. हर शख्स किसी ना किसी गम मे डूबा हैं..
तूने मुझे जाना, पहचाना मुझसे प्यार किया..
की मेरे मन को छूने की कोशिश
क्या ये तेरा एहसान नही..
क्यूँ करना चाहते हो मुझे कलमबद्ध...
तेरे सिवा मेरी कोई भी पहचान नही..
ना छोड़ना उनका हाथ कभी..
वरना कही टूट ना जाए सांसो की लड़ी.
इस शहर का रिवाज़ ही कुछ ऐसा हैं..
हर शख्स किसी ना किसी गम मे डूबा हैं..
तुम्हारी तन्हाई उसे तुम्हारे और करीब ले आएगी..
मत सोचना कभी खुद को अकेला..सुनकर तेरी ये बात
उनकी जान ही निकल जाएगी..
2 Comments:
गमों से उठकर जीना होंगा ,
something like perception..isn't it.......
The world is how we perceive it...
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new-
“तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}"
“प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं "
ya you are right..
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